Tuesday, February 16, 2010
ॐ नमः शिवाय आप सभी को मेरा नमस्कार।लास्ट टाइम मेने आप से ज़िक्र किया था कर्मयोग के बारे में जो किसी कारण से मुझे बीच में छोड़ना पड़ा था।हमारी किसी भी बात से किसी का भी मन तो नहीं दुःख रहा बस मेरे हिसाब से इस बात का पल पल ध्यान रखना पूरी इमानदारी से इस पर अटल रहना।यही है कर्मयोग। हालाकि अध्यात्म में इसके और बहुत से उदहारण है।पर आप किसी भी ग्रन्थ से या संत से इसका मतलब ले निचोड़ यही है।
भेद /फर्क




हम सभी में एक बहुत बड़ी कमी है की हम अपने सुख भूल जाते है।और दुःख को पकड़ कर बैठ जाते है।और फिर उस दुःख की महक सूंघते हुए हमें घेरते है कुछ ज्योतिषी'तांत्रिक;पंडित बस मेरी छोटी सी कोशिश यही है। की आप सभी को इस सच और झूठ का फर्क बता सकू।में कोई बहुत बड़ा विद्वान तो नहीं हु ;मगर आपको अपने पिता शिव की क्रप्या से कर्मयोग की ताकत के बारे बताना चाहूँगा।मंत्रो की ताकत अन्य कई उपाए जो हम खुद कर सकते है।और अपने जीवन को सुखी बना सकते है।
अभी चलता हूँ फिर मिलता हूँ
ॐ नमः शिवाय
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