Tuesday, February 16, 2010
ॐ नमः शिवाय आप सभी को मेरा नमस्कार।लास्ट टाइम मेने आप से ज़िक्र किया था कर्मयोग के बारे में जो किसी कारण से मुझे बीच में छोड़ना पड़ा था।हमारी किसी भी बात से किसी का भी मन तो नहीं दुःख रहा बस मेरे हिसाब से इस बात का पल पल ध्यान रखना पूरी इमानदारी से इस पर अटल रहना।यही है कर्मयोग। हालाकि अध्यात्म में इसके और बहुत से उदहारण है।पर आप किसी भी ग्रन्थ से या संत से इसका मतलब ले निचोड़ यही है।
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सहमत हूँ आपसे ...
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